5 रुपए की चाकलेट के चुकाना पड़े 1 लाख 35 हजार कैडबरी
कैडबरी कंपनी ने उपभोक्ता को कम वजन के चलते
दिए 5 हजार
इंदौर। कैडबरी चाकलेट का 5 रुपए दाम चुकाने के बाद जब उसका वजन आधे के बराबर निकला तो शिकायत के बाद नापतौल ने 1 लाख रुपए वसूल लिए और उपभोक्ता फोरम में गए उपभोक्ता को कंपनी को 5 हजार रुपए चुकाना पड़े। विक्रय करने वाले संस्थान से नापतौल ने 30 हजार की राशि वसूली। एक चाकलेट की कीमत कंपनी को 5 रुपए मिलने के बजाय 1 लाख 35 हजार रुपए चुकाना पड़ा।
सामग्री बेचने पर कंपनी और संस्थान को राशि मिलती है, किंतु कैडबरी कंपनी की चाकलेट बेचना रिलायंस फ्रेश को भी महंगा पड़ गया। वहीं कंपनी को उपभोक्ता को 5 हाजर रुपए देना पड़े और नापतौल की जांच में कम वजन पाए जाने पर 1 लाख रुपए देना पड़ा। 5 रुपए की चाकलेट पर कंपनी को राशि मिलना तो दूर रही, उलटे लाखो रु. का घाटा उठाना पड़ा। मामला इस तरह है कि सन 2016 में मुकेश अमोलिया नामक उपभोक्ता ने रिलायंस फ्रेश से कैडबरी कंपनी की पर्क चाकलेट खरीदी। इन चाकलेट में से कुछ का वजन आधे के बारबर कम था। जब वजन को लेकर उन्होंने विक्रय करने वाली संस्था रिलायंस फ्रेश को शिकयत की तो उन्होंने टाल दिया। मुकेश ने मामले में चाकलेट और बिल ले जाकर नापतौल विभाग को शिकायत की। विभाग की टीम ने जब जाकर परीक्षण किया तो कई चाकलेटो का वजन कम पाया गया। शिकायत के साथ दी गई चाकलेटों का वजन भी कम रहा। विभाग ने कैडबरी कंपनी को निर्धारित वजन से कम की चाकलेट बाजार में भेजने के लिए 1 लाख रुपए का जुर्माना किया और रिलायंस से 30 हजार की राशि वसूली। 5 रुपए की चाकलेट के लिए देश में इतनी बड़ी हर्जाना राशि वसूलने का यह संभत: पहला मामला रहा है। मुकेश ने कंपनी पर जुर्माना होने के बाद इस जागरूक उपभोक्ता होने का परिचय देते हुए जनता को जागरूक करने के उद्देश्य से मामले में उपभोक्ता फोरम में दर्ज कराकर कंपनी से 5 लाख का हर्जाना मांगा। उपभोक्ता फोरम में लंबे समय तक चले इस मामले के बाद कंपनी से 5 हजार रुपए दिलाने का आदेश हुए। कंपनी ने राशि देना स्वीकार कर लिया, किंतु 6 माह तक राशि नहीं चुकाई। मामले में मुकेश ने फिर फोरम में जाकर आवेदन दिया तो फोरम ने धारा 25 के तहत नोटिस जारी किया। कंपनी ने नोटिस मिलने के बाद अब मुकेश को 5 हाजर का चेक सौंपा है। इस तरह कैडबरी को अपनी पर्क चाकलेट बेचने पर 5 रुपए मिलने के बजायए उपभोक्ता को उलटे 5 हजार और सरकारी महकमे में हर्जाने के लिए एक लाख रुपए चुकाना पड़े।