एक साथ कार्रवाई से पूरे प्रदेश के ''माफियाराज' में दहशत "बचने को आकाओं की शरण में पहुंचे तो उन्होंने भी खड़े किए हाथ|(उदयसिंह राजपूत ) इंदौर। भू माफिया, शराब माफिया, रेत माफिया, परिवहन माफिया, शिक्षा माफिया सहित अन्य माफियाओं और संगठित अपराध करने वालों पर नकेल कसने के लिए जब प्रदेश के मुखिया ने पुलिस को फ्री हैंड दिया तो फिर पुलिस कहां पीछे रहने वाली थी। पुलिस ने प्रशासनिक अधिकारियों और अन्य सरकारी विभागों के साथ मिलकर माफियाओं पर कार्रवाई कार्रवाई के लिए प्लान बनाया। जिसका नतीजा यह रहा कि प्रदेश के इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर सहित अन्य जिलों में माफिया राज की शामत आ गई। आलम यह हो गया कि वे अपने आकाओं (संरक्षण देने वाले नेता व अन्य) की शरण में पहुंचकर कार्रवाई से बचने की गुहार लगाने लगे, लेकिन उन्होंने भ हाथ खड़े कर दिए, क्योंकि कार्रवाई के निर्देश सीधे सीएम ने दिए थे। उन्होंने स्पष्ट कहा कि प्रदेश में माफिया राज का खात्मा किया जाएगा। ___ मां अहिल्या की नगरी कहलाने वाला इंदौर प्रदेश की औद्योगिक राजधानी भी है। तीन साल से सफाई में नंबर 1 शहर का जिस तेजी से विकास हो रहा है और यह महानगर का रूप लेता है कि उसी तेजी से माफिया राज भी शहर में बढ़ा है। इनमें सबसे अधिक भू माफिया और अवैध शराब माफियाओं ने पैर पसारे है। अब स्वच्छता में नंबर वाले इस शहर में माफियाओं के राज को खत्म करने का जो अभियान प्रदेश में मख्यमंत्री कमलनाथ के निर्देश पर चल रहा है उसमें इसका सबसे अधिक असर इंदौर में दिखाई दे रहा है। अभियान की शरूआत से ही की जा रही सख्त कार्रवाई का असर यह हआ कि भ-माफिया. शराब माफिया सहित अन्य में दहशत दिखाई दे रहे हैंकमलनाथ सरकार के द्वारा अचानक माफियाओं के खिलाफ अभियान शरू करने के निर्देश देने के बाद पुलिस और जिला प्रशासन तथा नगर निगम सहित अन्य विभागों द्वारा की जा रही कार्रवाई के बाद माफियाओं खासकर भ- माफियाओं ने अपने बचने के रास्ते निकालने शरू कर दिए जिसके चलते राजनीतिक दलों के नेताओं के पास पहुंचने लगे हैं, जिनका उन्हें संरक्षण हैबताया जाता है कि इन माफियाओं ने इंदौर तो क्या दिल्ली-भोपाल तक संरक्षण देने वालों अपने आपको बचाने की गहार लगाई, लेकिन मख्यमंत्री कमलनाथ के सख्त तेवर देखते हुए संरक्षण देने वालों ने भी हाथ खींच लिए हैं। इससे साफ है कि अब माफियाओं को कोई भी संरक्षण देने वाला कार्रवाई से नहीं बचा सकता। आपरेशन क्लीन अभियान- सख्त कार्रवाई का अभियान जारी है। संभागायुक्त आकाश त्रिपाठीके निर्देशन में लगातार कार्रवाई चल रही हैं। जिले में शासकीय भूमि तथा निजी भूमियों पर कब्जा करने वालों के विरूद्ध अनेकआपराधिक प्रकरण दर्ज किये। हर क्षेत्र में हैं माफिया- शहर में हर क्षेत्र में माफिया हैं। चाहे वह सहकारिता के माध्यम से भूमाफिया हो, माइनिंग माफिया हो, ड्रग माफिया, बाजारों में अवैध वसूली या परिवहन के क्षेत्र में एकाधिकार स्थापित कर रखा हो | ऐसे समझें माफियाओं की कैटेगरी... भू-माफिया- इसमें ऐसे लोग जो सरकारी जमीनों पर कब्जा कर व्यावसायिक उपयोग कर रहे हैं। इसके साथ ही जो दूसरों की जमीन पर कब्जा करते हैं और उसे खाली कराने के एवज में अड़ीबाजी करते हैं। इस केटेगरी में वह लोग भी चिन्हित किए जा रहे है जो मकान, जमीन खाली कराने का ठेका लेते है और राजीनामा कराने के नाम पर सौदा करते है। शराब माफिया -इस कैटेगरी में अवैध शराब का कारोबार करने वालों के साथ ही नकली शराब बनाना और बेचने के साथ ही एक परमिट पर एक से ज्यादा ठेके संचालित करने वालो की सूची बनाई जा रही है | पत्थर माफिया - इस श्रेणी में अवैध उत्खनन करने वालों के साथ ही ऐसे लोग जो बिना अनुमति पत्थर व गिट्टी का उत्खनन कर रहे है। बिना रायल्टी पत्थर या गिट्टी विक्रय कर रहे है। अब सरकार के आदेश के बाद खनिज विभाग को भी ऐसे लोगों पर ठोस कार्रवाई करना होगी। लोगों पर ठोस कार्रवाई करना होगी। रेत माफिया - बिना रायल्टी रेत का परिवहन करने वालों के साथ ही ऐसे लोग जो बिना अनुमति रेत का उत्खनन कर रहे है। जिले में इन दिनों बड़ी मात्रा में रेत उत्खनन का खेल चल रहा है। सूदखोर - इस श्रेणी में ऐसे लोगों को चिन्हित किया जा रहा है, जो बिना किसी लाइसेंस के लाखों-करोड़ों रूपए ब्याज पर बांटकर सूदखोरी कर रहे है तथा ब्याज रूपए देने बदले मकान, जमीन पर कब्जा करते हैं इसके साथ ही इसमें ऐसे लोग भी शामिल है जिन्होंने व्यापार या अन्य किसी एवज में किसी से रूपये लेकर हड़प गए। परिवहन माफिया -ये वे लोग हैं, जो संगठित होकर अपने अवैध कार्यों को विभाग के अधिकारियों से सांठगांठ कर अंजाम देते हैं। दरअसल परिवहन विभाग द्वारा टोल टैक्स बनाए गए हैं, जहां वाहनों के लोड की जांच की जाती है और टैक्स वसला जाता है. लेकिन परिवहन माफिया से जुड़े लोग यहां जमकर धांधली करते हैं और कतिपय शासकीय अधिकारियों से भी इनकी मिलीभगत रहती है। यही कारण है कि क्षमता से अधिक लोड होने के बाद भी इनके वाहन सड़कों पर दौडते रहते हैं। शिक्षा माफिया- जिस तेजी से शहर एज्यूकेशन हब बनता जा रहा है उसी तेजी से शहर में शिक्षा माफियाओं ने भी अपने पैर पसार लिए है. जो बाहर से आने वाले कानों से परीक्षाओं में पास कराने के नाम पर रुपए ऐंठते हैं। इनमें अधिकांश कोचिंग संस्थानों से जड़े लोग हैं। मादक पदार्थ की तस्करी करने वाले - इस कैटेगरी में स्मैक, चरस, गांजा जैसे मादक पदार्थो की तस्करी करने वालों को चिन्हित किया जा रहा है। गौरतलब हो कि पिछले वर्ष ही स्मैक, गांजा की खरीदफरोख्त के मामले में पुलिस द्वारा कार्रवाई भी की गई थी | (स्टिंग नेशन से बोले शहरवासी) मुख्यमंत्री के निर्देश पर माफियाओं के खिलाफ चलाए जा रहे ऑपरेशन क्लीन को लेकर स्टिंग नेशन की टीम ने शहर के आम लोगों और अपने पाठकों से बात की तो अधिकांश का कहना था कि इस कार्रवाई की लंबे समय से आवश्यकता महसूस की जा रही थी। कुछ लोगों का कहना था कि मेहनतकश लोगों के खून पसीने की कमाई से खरीदी गई जमीन भूमाफियाओं के कब्जों से अब निजात मिल सकेगी। वहीं कुछ ने यह भी उन माफियाओं को भी सख्त कार्रवाई होना चाहिए, जिन्हें राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। स्टींगनेशन के पाठक ने तो यहां तक कहा कि जब सभी में माफियाराज खत्म नहीं हो जाता, तब तक ऑपरेशन क्लीन लगातार जारी रहना चाहिए जिस तरह हमारा शहर सफाई में नंबर 1 बना है उसी तरह माफियाराज के सफाये में भी नंबर 1 बनना चाहिए।
'माफियाराज' में दहशत