दो सरकारी विभागों में ये कैसी तबादला नीति...( सालों से एक ही जेल में जमें हैं... मुख्य प्रहरी एवं प्रहरी) (प्रशासनिक संकुल में अफसर तो बदले, लेकिन बाबू वर्षों से एक ही जगह पर हैं काबिज)__ उदयसिंह राजपूत इंदौर। प्रदेश में सरकार के बदले जाने के बाद सरकारी विभागों में तबादलों का दौन चला और सारे शासकीय अधिकारियों को इधर से उधर कर दिया गया। शासन के निर्देशों का पालन करते हुए नई जगह पर अधिकारियों ने पद संभाल लिया, लेकिन जेल विभाग में जहां कुछ प्रहरी और कर्मचारियों वर्षों से अंगद के पैर की तरह एक ही स्थान पर जमे हुए हैं, वहीं प्रशासनिक संकुल भी बाबुओं के यही हाल है। यहां भी अधिकारियों के तो तबादले कर दिए, परंतु बाबू वर्षों से एक ही स्थान डंटे हुए हैं। जेल विभाग में तबादले के सीजन में हर बार जेल विभाग के शीर्ष अफसर दावा करते हैं कि सालों से एक ही जेल में जमे मुख्य प्रहरी व प्रहरी को हटाया जाएगा, लेकिन हर बार चंद कर्मचारियों का तबादला कर पूरे मामले में इतीश्री कर दी जाती है और हालत यह है कि इंदौर की सेंट्रल व जिला जेल में कई मुख्य प्रहरी व प्रहरी ऐसे हैं जिन्हें सात से छह साल तक एक हा जल पर हो गए हैं, लाकन इन्ह अब तक हटाया नहीं गया है। इंदौर की सेंट्रल व जिला जेल में सालों म साला से पदस्थ मख्य प्रहरी व प्रहरियों की फेहरिस्त अच्छी खासी । है। अफसरों को भी मालूम है कि कौन कितने समय से किस जेल पर पदस्थ है, मगर फिर भी इन्हें हटाया नहीं जाता है। अब हम आपको सालों से एक ही जेल में जमें मुख्य प्रहरियों और प्रहरियों के नाम से अवगत कराते हैं। में साफ हो जाएगा। यह यहां पर वर्षों से जमे : बताया जा रहा है कि मुख्य प्रहरी गंगाराम सकलवाल, सुरेश यादव, राव रावत,गोपाल रणीतसिंह पंवार, अनवर खां,रमेश नंदराम अहरिया,बाबूसिंह कुशवाह, बाबूलाल वर्मा, असगर खां, राजेश चौबे, सालों से केंद्रीय जेल में जमे हुए हैं। ये सभी इंदौर के ही रहने वाले हैं। इसलिए ये यहां से तबादला नहीं चाहते हैं। यहीं पर रहने के लिए इनकी ऊपर तक सेटिंग जमी हुई है। यही कारण है कि जेल मुख्यालय के अधिकारी भी नियमों को दरकिनार कर उनका स्थानांतरण नहीं करते हैं। इसी तरह प्रहरी पद पर शंकरलाल सुनिया, लक्ष्मणसिंह, दिवाकर बावीकर, रामसिंह बघेल,घनश्याम मौर्य, छोटेलाल यादव, कमल कुमार गोडाले, ईश्वरलाल शर्मा, सुलेमान खान, किशोर जगतपाल, विमल सिलावट,जगदीश देवलिया, दिनेश चौहान,संतोष दुबे,अमरसिंह परमार,मदनलाल अकोदिया,शिवशंकर यादव, इंद्रसिंह बारिया,शंकरसिंह चौहान,राजेश रमाशंकर पांडे, यशवंत राय साईखेड़कर,अमित वालेकर,धर्मेंद्र सागरिया। ऐसे कई नाम हैं जो सालों से एक ही जेल पर जमे हुए हैं। २ अफसरों की सेवा में लगे रहते हैं ये सभी , सूत्रों का कहना है कि सेंट्रल व जिला जेल में जमे मुख्य प्रहरी व प्रहरी सालों से इसलिए जमे हैं क्योंकि यह सभी जेल मुख्यालय में बैठे अफसरों की चाकरी में लगे रहते हैं। यह इंदौर में रहकर की इनके निजी काम निपटाते हैं,यही वजह है कि इनका तबादला नहीं कि जेल मुख्यालय में बैठे शीर्ष अफसरों से चर्चा कर इन्हें हटाया जाएगा तो इन बातों में कितनी सच्चाई है, यह तो आने वाले वक्त में साफ हो जाएगा। फिर भेज देते हैं जिले में |प्रदेश में बाबूओं के ट्रांसफर के मामले में देखा जाए तो कई वर्षों से इन बाबूओं का जिले में कब्जा रहा है। अंगद के पैर की तरह जमे ये बाबू कई वर्षों से जिले में काबिज है। मध्यप्रदेश में बात की जाए तो हर तीन साल में इन बाबूओं का ट्रांसफर होता है लेकिन इन बाबूओं का ट्रांसफर के नाम पर जिले में ही पदस्थ कर तीन से पांच माह के लिए इंदौर जिले में भेज दिया जाता है, जो शासन के आदेश विरुद्ध है। बाबूओं के ट्रांसफर मामले में ये सब समझौते के रूप में देखा जा सकता है। वर्षों से अधिक एक ही स्थान पर बाबुओं का कब्जाः प्रशासनिक संकुल में अधिकारियों के स्थानांतरण पर जाने के बाद बाबूओ पर किसी का कोई ध्यान नही जाता है। अधिकारियों के अधीनस्थ कर्मचारी और बाबू अपने आप मे बड़ी बोल वाले कहलाते है। अंगद के पैर की तरह एक ही स्थान पर बरसों से नोकरी कर रहे गए बाबू की अधिकारी से कम नही दिखते। कलेक्टर संकुल की बात करे तो कई वर्षों से इंदौर जिले में कर्मचारियो और बाबूओं का दबदबा रहा है। जिसके कारण अधिकारियों के ट्रांसफर होते रहते है लेकिन इन बाबूओ और कर्मचारियों की कोई ख़बर नही ले रहा है। तीन साल से अधिक जिले में अधिकारियों को प्रदेश में घूमा दिया जाता है और बाबू एक जिले में अपना अंगद के पैर की तरह जमा कर कब्जा कर हुए है। गौरतलब है कि कई वर्षों से इन बाबूओं का ट्रांसफर इंदौर जिले के अलावा अभी तक नही हुआ है। जो अंगद के पैर की तरह जिले में अपना कब्जा कर हुए है। अधिकारीयो के ट्रांसफर के बाद इन बाबूओं पर किसी सरकार का ध्यान नही जाता। सूत्र बताते हैं कि जब भी तबादला सूची निकलने की चर्चा होती है तो ये कर्मचारी जेल मुख्यालय के अधिकारियों से गणित जमाकर अपना तबादला रुकवा लेते हैं। यही कारण है कि सालों बाद भी यह अंगद के पैर की तरह काबिज कर्मचारियों को यहां से स्थानांतरित नहीं किया जाता है।
दो सरकारी विभागों में ये कैसी तबादला नीति...