केसीसी पर दस लाख का फर्जी लोन लिया किसान को चार साल बाद पता चला तीन में से दो आरोपित गिरफ्तार,

केसीसी पर दस लाख का फर्जी लोन लिया
किसान को चार साल बाद पता चला तीन में से दो आरोपित गिरफ्तार,
इंदौर। पीथमपुर की बगदून पुलिस ने दो लोगों को बैंक धोखाधड़ी के एक मामले में गिरफ्तार किया है। आरोपित मानपुर थाना क्षेत्र के रहने वाले हैं, जिन्होंने सागौर के एक किसान के नाम पर फर्जी लोन निकाला था। किसान को लोन का पता करीब चार साल बाद चला, लेकिन बैंक ने खास गंभीरता नहीं दिखाई। मामले में तीसरा आरोपित अब तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। प्रार्थी किसान के मुताबिक पुलिस की जांच बेहद धीमी है और उन्होंने डीजीपी के अलावा मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय को भी पत्र लिखकर न्याय की मांग की है।
पीथमपुर क्षेत्र की बगदून पुलिस ने पिछले दिनों सीताराम पिता गिरधारी लाल सारडा निवासी सदर बाजार मानपुर और अनिल पिता बलराम मीणा को गिरफ्तार किया है। गिरधारीलाल सारड़ा पिता बंशीधर सारडा निवासी मानपुर फरार है। बताया जाता है कि इन दोनों ने गुरुवार शाम को थाने में आत्मसमर्पण कर दिया था। मामले में फरियादी किसान करण सिंह ठाकुर निवासी नाईबरौदा थाना सागौर जिला धार द्वारा की गई शिकायत के मुताबिक साल 2015 में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की सागौर शाखा से तीनों आरोपितों ने मिलकर 9.80 लाख रुपए के लोन के लिए आवेदन किया था। इस लोन के लिए जो दस्तावेज दिए गए थे, उनमें कृषक के फर्जी दस्तखत तो किए ही गए, भूअधिकार पुस्तिका और दूसरे पहचान पत्र भी फर्जी बनाकर लगाए गए। कृषक की तस्वीर के स्थान पर यहां आरोपित अनिल मीणा की तस्वीर लगाई गई थी जो कि गिरधारी सारडा का ड्राइवर है।
कृषक करण सिंह ने बताया कि उनकी जमीन पर लोन देने के बाद यूनियन बैंक ने चार साल तक उनसे किसी भी तरह का संपर्क नहीं किया। अपने ऊपर लोन की जानकारी उन्हें गांव के अन्य किसान से मिली, जिसके बाद वे बैंक गए। ठाकुर के मुताबिक बैंक अधिकारियों द्वारा इस मामले की शिकायत न करके इसे वहीं रफा-दफा करने के लिए कई बार दबाव बनाया गया। ठाकुर के मुताबिक अब उन पर करीब चौदह लाख रुपए का कर्ज हो चुका है। नईदुनिया द्वारा इस बारे में जब बैंक मैनेजर रोहिताश से संपर्क किया गया तो उन्होंने कोई भी जानकारी देने से साफ इंकार कर दिया।
पुलिस के चक्कर काटे
करण सिंह के मुताबिक उन्होंने 13 मई 2019 को पहली बार धार एसपी कार्यालय में मामले की शिकायत की थी। इसके बाद उन्होंने पुलिस के दर्जनों चक्कर लगाए और फिर करीब दो महीने बाद 2 जुलाई को मामले में एफआईआर दर्ज हुई। इसके बाद भी आरोपितों को पकडऩे की प्रक्रिया धीमी ही रही। आरोपितों ने अग्रिम जमानत के लिए अपील की, लेकिन पहले जिला कोर्ट और बाद में हाईकोर्ट से भी यह अपील खारिज कर दी गई थी।
फरियादी किसान के मुताबिक इस मामले में पुलिस गिरधारी लाल सारडा को आरोपित तो बना चुकी है, लेकिन उस पर कार्रवाई नहीं कर रही है। मामले की जांच कर रहे बगदून पुलिस के एसआई संतोष पाटीदार ने बताया कि उनकी जांच में अब तक गिरधारी का नाम नहीं आ रहा है। हालांकि दूसरी ओर हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने 31 जुलाई 2019 को गिरधारी की अग्रिम जमानत यह कहते हुए अस्वीकार कर दी थी कि उसके खिलाफ पर्याप्त सुबूत हैं।
- आरोपितों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई बेहद धीमी है। किसानों के नाम पर उनकी जानकारी के बिना ही कई केसीसी लोन लिए जा रहे हैं। इनमें बैंक अधिकारियों की भी मिलीभगत होती है। मेरे मामले में मुझसे इसके अलावा भी इन तीनों आरोपितों ने कई और धोखाधड़ी भी की है। -करण सिंह ठाकुर, फरियादी किसान
- हमने तीन में से दो आरोपितों को पकड़ लिया है। वे अब जेल में हैं। हम मामले में आगे जांच कर रहे हैं। -आनंद तिवारी, टीआई, बगदून थाना