मिलावट खोरी के मामले में भाजपा नेता सहित दो अन्य को एक वर्ष का कारावास


इंदौर। मिलावट खोरी के दो अलग अलग मामलों में महू के अपीली न्यायालय ने हिंदूवादी व भाजपा नेता सहित दो अन्य को एक वर्ष के  सश्रम कारावास और एक-एक हजार रुपए के जुर्माने से दंडित किया है!इंदौर जिला लोक अभियोजन अधिकारी अकरम शेख से मिली जानकारी के अनुसार जिला खाद्य विभाग द्वारा महू तहसील में मिलावट खोरों के खिलाफ लगाम कसने के उद्देश्य से वर्ष 2008 में शहर की दुध  डेयरियों पर छापामार कार्रवाई करते हुए खाद सामग्री की जांच कर नमूने लिए थे जिसमें माणक चौक स्थित यादव दुध डेरी और सेंट्रल स्ट्रीट स्थित गायत्री डेरी सामील थी।  

खाद्य निरीक्षक एवं औषधि प्रशासन इंदौर के निरीक्षक ने अपने वरिष्ठ जांच अधिकारी सचिन लोगरिया के निर्देशन पर यादव डेरी पर स्टील की टंकी में रखे दो सौ लीटर घी तथा तथा गायत्री डेयरी में रखे पच्चीस लीटर घी और आठ लीटर क्रीम के जांच नमूने दुकानदारों और गवाहों के समक्ष लेकर सील बंद करते हुए सेंट्रल फूड लेबोरेटरी में प्रेषित किये थे!कुछ दिनो पश्चात खाद्य विभाग को सेंट्रल फूड लेबोरेटरी से प्राप्त हुई जांच नमुने की रिपोर्ट में मिलावटी घी( एडल्ट्रेट) होना पाया था!मामले को लेकर  परिवादी मध्यप्रदेश राज्य द्वारा खाद्य निरीक्षक एवं ओषाधी प्रशासन इंदौर  ने यादव डेयरी माणक चौक महू के संचालककता व आरोपी राधेश्याम यादव पिता मोहनलाल यादव और विजय यादव पिता पहलाद यादव दोनों निवासी माणक चौक महू और गायत्री डेयरी के संचालक विपिन राठौर पिता मनोज राठौर निवासी गवली पलासिया महू के विरुद्ध परिवाद दायर की थी इनमें अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी महू  (विद्वान न्यायाधीश श्री आशीष टाकंले) न्यायालय ने अलग - अलग दोनों मामलो मे दायर परिवादो पर सुनवाई करते हुवे न्यायालय में परिवादी सहित मामले मे गवाहों के कथन और साक्ष्यों पर विचरण करने के पश्चात् दिनांक 03-09-2016 ने प्रकरण क्रमाक 2631/08 पर निर्णय पारित करते हुए आरोपी विजय पिता पहलाद यादव और राधेश्याम पिता मोहनलाल यादव दोनों को  खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम 1954 की धारा 7 की उपधारा 1 व 3 सहपठित धारा 16(1 )(ए)(1)(11) पी.एफ.ए एक्ट मे दोषी पाते हुए एक वर्ष के सश्रम कारावास और एक एक हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया था इसी प्रकार गायत्री डेयरी के संचालक विपिन राठौर पिता मनोज राठौर गवली पलासिया महू के विरुद्ध दर्ज प्रकरण क्रमाक 2627/08 के  मामले में दोषी पाते हुए सजा सुनाई थी और अर्थदंड से दंडित किया गया था दोनों ही मामलों में दोषी पाए गए तीनों आरोपियों ने  अतिरिक्त मुख्य  न्यायिक मजिस्ट्रेट महू के निर्णय से उद् भूत होकर प्रथम अपर  जिला एंव सत्र  न्यायाधीश महू (श्री विकासचंद्र मिश्र) के न्यायालय में दांडिक अपील प्रस्तुत की थी ।